अभियान को आगे बढ़ाते हुए
अब किचन में बढ़ रही है मर्दों की भागेदारी
बैल कोल्हू ने इस पहल के माध्यम से एक बड़ा मुद्दा उठाया, उस सोच के खिलाफ जो हमारे समाज में पीढ़ियों से चली आ रही है और यह सोच है “रसोई का काम सिर्फ औरतों को ही शोभा देता है.” इस सोच में बदलाव और नई परंपरा की शुरुआत के लिए बैल कोल्हू ने #RasodeMeinMardHai अभियान की शुरुआत की. आखिर मर्द रसोड़े में क्यूँ नहीं हो सकता? हर बार सिर्फ औरत ही क्यूँ?
बैल कोल्हू ने अपने प्रिंट विज्ञापनों, टीवी कमर्शियल्स और ब्रांड एम्बेसडर - मनोज बाजपेयी, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और पंकज त्रिपाठी के माध्यम से इस अभियान को जन-जन तक पहुंचा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश की. जिसे समर्थन भी खूब मिल रहा है और लोग इस अभियान से जुड़कर रसोई के कर्तव्यों और भूमिकाओं को बदल रहे हैं. इतना समर्थन देख हमें पता चल गया कि हमने आधी लड़ाई जीत ली है.
इस अभियान को और भी प्रभावशाली बनाने के लिए बैल कोल्हू ने 5 डिजिटल फिल्म्स का निर्माण किया, जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जाए और किसान के कामों में मर्दों की भागेदारी भी बढ़ाई जाए. इसका असर भी देखने को मिला. बैल कोल्हू के सोशल मीडिया हैंडल्स पर लोगों ने रसोड़े में कामकरते, खाना बनाते और अन्य ज़िम्मेदारी निभाते हुए पिक्चर्स और विडियो शेयर किये.
यह तो अभी शुरुआत है, बदलाव का यह सफ़र बहुत लम्बा है. हमारे प्रयासों और आपके समर्थन से यह बड़ा बदलाव ज़रूर आएगा.